परिश्रम
का सूरज नई भोर लाए।
विचारों में पूरब दिशा मुस्कराए
दिवस
आजादी का यूँ ही सब मनाएं ।
न आँसू
गिरें अब, न विश्वास टूटे,
न ईमान
का घर कोई चोर लूटे ।
अनाचार
को उसका रास्ता दिखाएं
दिवस
आजादी का...........।
हों
संकल्प पूरे मन से लगन से।
इरादे
अडिग नेक चिन्तन मनन से ।
प्रलोभन
कभी भी हमें ना डिगाएं
दिवस
आजादी का....।
अभी
देश सीमा सुरक्षा जरूरी ।
अभी
देश में है सजगता अधूरी ।
कि निष्ठा
का पग-पग पे पहरा बिठाएं।
दिवस
आजादी का.........।
वतन
के लिये प्राण तन से निछावर।
उगे
पूर्व से ही प्रगति का दिवाकर।
कि अच्छाइयों
को उजाले में लाएं।
दिवस
आजादी का .........।
मिटी
है गुलामी प्रयासों से जिनके।
अमर
हैं शहादत रँगे गीत उनके ।
वही
राह पकडें वही गीत गाएं ।
दिवस
आजादी का नए ढंग मनाएं।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१६-०८-२०२३) को 'घास-फूस की झोंपड़ी'(चर्चा अंक-४६७७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत धन्यवाद अनीता जी
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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