विहान
बाल-कहानियों व कविताओं का पिटारा
शनिवार, 1 नवंबर 2025
सबक
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एक जगह जमीन बड़ी ऊबड़-खाबड़ थी । ऐसी कि वहाँ न अच्छी तरह खेती की जा सके न मकान बनाया जा सके । मिट्टी के टीले , बड़े हठीले । जमे थे सालों स...
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सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
आए दिवाली दस बार
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“हे भगवान , यह दिवाली हर साल क्यों आजाती है ? भले ही होली साल में दो बार आजाए लेकिन दिवाली तो एक बार भी नही आए ।”—--बुँदकी एक कोने में कान ...
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गुरुवार, 14 अगस्त 2025
भैया का दोस्त
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वैसे तो भैया के कई दोस्त थे लेकिन उनका वह दोस्त अजीब ही था । हम सबकी समझ से बाहर । स्याह काला रंग ,बड़े बाल , लम्बा डीलडौल ,झबरीली पूँछ ,पल ...
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बुधवार, 9 जुलाई 2025
पतंग-परी और डुग्गू
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एक थी पतंग । हरे पीले लाल नीले और जामुनी रंग वाली पचरंगी पतंग थी । एक लम्बे मजबूत धागे के का हाथ थामे आसमान में लहरा रही थी । हवा के साथ...
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शनिवार, 7 दिसंबर 2024
पतंग--कहानी
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पतंग ---------------------- सूरज मन में पतंगों की जितनी रंगीन और मीठी कल्पनाएं संजोये रहता था , उसके पिता उतनी ही कड़वाहट के साथ पतंग ...
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