विहान
बाल-कहानियों व कविताओं का पिटारा
मंगलवार, 19 मार्च 2024
बना रही है घर
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बना रही है घर गौरैया। ---------------------------- जब चाहे तब उडती थी . आँगन - गली फुदकती थी। जहाँ मिला कर लिया बसेरा , चिन्ता ...
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शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023
पेड़ की कविता
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एक थी सतरंगी . सतरंगी रंग-बिरंगे पंखों वाली एक सुन्दर तितली थी .वह केवल सुन्दर ही नहीं , चचंल और मनमौजी भी थी . और सबकी लाड़ली भी . उसने...
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सोमवार, 14 अगस्त 2023
आजादी का दिन
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परिश्रम का सूरज नई भोर लाए। विचारों में पूरब दिशा मुस्कराए दिवस आजादी का यूँ ही सब मनाएं । न आँसू गिरें अब , न विश्वास टूटे , न ...
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शुक्रवार, 16 जून 2023
सूरज का कोई अपना है .
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मई-जून है , भैया सँभलो , किसी तरह तो बचकर निकलो . अनचाहे ही आया है जो , वह गुस्सैला है . धूल–पसीना से लगता मैला-मैला है. लू और...
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