एक रूप रुपहला तारा
जैसे थाली भर पारा
या परी भुलक्कड भूली
अपना सिंगार पिटारा
एक झिलमिल सा आईना
टीका है जडा नगीना
नीले सरुवर में मानो
एक श्वेत कमल रसभीना
नभ की दीवार घडी है
बिन्दी जो रतन जडी है
खालो ,है बर्फ का गोला
खेलो वह बॅाल पडी है
यह चाँदी का सिक्का है
या ताश तुरुप इक्का है
कुरमुर पापड चावल का
या आलू का टिक्का है
क्या साइज है इडली का !
या प्याला भरा दही का
मीठा लड्डू मावा का ?
या घेवर फीका-फीका ?
रबडी का भरा कटोरा
बिखरा मिसरी का बोरा
माँ धरती नीली-नीली
पर मामा गोरा-गोरा ।
--------------------
जैसे थाली भर पारा
या परी भुलक्कड भूली
अपना सिंगार पिटारा
एक झिलमिल सा आईना
टीका है जडा नगीना
नीले सरुवर में मानो
एक श्वेत कमल रसभीना
नभ की दीवार घडी है
बिन्दी जो रतन जडी है
खालो ,है बर्फ का गोला
खेलो वह बॅाल पडी है
यह चाँदी का सिक्का है
या ताश तुरुप इक्का है
कुरमुर पापड चावल का
या आलू का टिक्का है
क्या साइज है इडली का !
या प्याला भरा दही का
मीठा लड्डू मावा का ?
या घेवर फीका-फीका ?
रबडी का भरा कटोरा
बिखरा मिसरी का बोरा
माँ धरती नीली-नीली
पर मामा गोरा-गोरा ।
--------------------
चित्र-गूगल से साभार