बादल भैया ,
अजब-गजब के हैं ये ढंग तुम्हारे ।
कितने रूप बदलते पल में ,
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlC-VuBX0X2ORz2I0_dR85uqocAzLGDy1pcjlZMKn_wbpss_m13oPiJii4hVWLTbGf8h8MfHt5K7_1EMQ_AChJjHqSnZyJArLZ5Jgw4jmPt287n_ZyQxllvskXrFrQaF807Qqgqt01uuU/s1600/Photo0887_001.jpg)
कुल्फी, सॉफ्टी,आइसक्रीम
तो कभी केक लगते हो
कभी बाल गुड़िया जैसे ही
बड़े 'फेक 'लगते हो ।
कभी हिरण ,खरगोश
कभी काले सफेद गुब्बारे ।
कभी भेड--बकरी जैसे ही
चलते बना कतारें ।
जंगल बाग पहाड़
कभी तो महल-दुमहले न्यारे ।।
भालू बन्दर शेर कभी
लगते हाथी के बच्चे
या बरखा रानी के हो तुम
मटके काले कच्चे ।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDRGGNy_6hMU8frgNbmZ_DU_wlaUWJM-Ch-KWtN3mRX1-pruECX1bSyLczRoVaArrnBtWw-kkhwJXAEklplMBScc9ClB1K8CZtJvqg5V7qFPml0j5lKGfOIwn7BS9g_Js-25F-ukkDjxA/s1600/Photo0877_001.jpg)
फिर छूट पड़ें बौछारें ।।
कभी कपासी और कभी ,
लगते हो तीतरपंखी
कभी सुनहरे लाल कभी
हो जाते हो नारंगी ।
काजल जैसे भी तो तुम
लगते हो हमको प्यारे ।।