स्वतन्त्रता-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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मेरे देश अजित अविकल
हो अटल यही विश्वास .
तेरे पाँव तले हर मुश्किल
बाँहों में आकाश .
मेरा तन मन धन अर्पित है
तू है मेरा मान .
तेरी खातिर जीने-मरने में है
मेरी शान .
रोम रोम में भरा रहे ,
बस तेरा ही अहसास .
मेरे देश अजित अविकल
हो अटल तेरा विश्वास .
कोई कितना भी ऊँचा हो ,
तुझसे बढ़कर कौन !
कोई कितना भी सँवरा हो
तुझसे सुन्दर कौन !
तू नयनों की सीमा रेखा
तू ही धवल उजास .
मेरे देश अजित अविकल
हो अटल तेरा विश्वास .
कोई माने ना माने
सर्वोपरि मेरा देश .
यही भान अभिमान रहे
तू ही मेरा सर्वेश .
रहे लहू की बूँद-बूँद
अपनी माटी की प्यास .
मेरे देश अजित अविकल ,
हो अटल तेरा विश्वास .
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं । बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंदेशप्रेम से सराबोर सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता...इसे आज पढ़ रहा हूँ, वैसे अच्छा भी है न बुआ...देश प्रेम की कविता तो कभी भी पढ़ी जा सकती है.
जवाब देंहटाएंसही कहा अभि . अपने लिये तो रोज ही पन्द्रह अगस्त है . है न
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