आँगन ,छत ,फर्श और रंग गईं दीवार है
देखो बताओ ये कौन चित्रकार है ?
देखो बताओ ये कौन चित्रकार है ?
दे देते हाथी को घोड़े
की सूरत .
चार पाँव चिड़िया के इनकी
जरुरत .
हरा रंग सूरज ,गुलाबी
है चंदा ,
कौआ को दे दी है चाँदी
की रंगत .
आसमान ने पहना चिड़ियों
का हार है
कोयल के बच्चे सी काली
जो आँखें हैं .
उड़ने को लम्बी सी पलकों
की पांखें हैं .
महके है फूल इन फूले से
गालों में
मोहक अदाएं ज्यों फूल
लदी शाखें हैं .
दौलत दुनियाभर की इन पर
निसार है .
सोचो ,बताओ ये कौन चित्रकार हैं .
गुलज़ार साहब की लाइनें:
जवाब देंहटाएंन न रहने दो मत मिटाओ इन्हें
इन लकीरों को यूँ ही रहने दो
नन्हे नन्हे गुलाबी हाथों से
मेरे मासूम नन्हे बच्चे ने
टेढी मेढी लकीरें खींची हैं
क्या हुआ शक्ल बन सकी न अगर
मेरे बच्चे के हाथ हैं इनमें
मेरी पहचान है लकीरों में.
और आपके अनुज की यह पोस्ट
http://chalaabihari.blogspot.in/2010/08/blog-post_13.html
विहान को प्यार!
सलिल चचा ने तो अपनी इस टिप्पणी में गुलज़ार साहब की ये पंक्तियाँ देकर मानो सब कुछ कह दिया...| बहुत प्यारी सी मासूम सी चित्रकारी पर आपकी प्यारी सी कविता...सोने पर सुहागा...
जवाब देंहटाएंशब्द और चित्र दोनों ही प्राकृति की दें हैं ... और आप पर तो बृहद हस्त है माँ सरस्वती का ...
जवाब देंहटाएं