सरल साँवले दुबले-पतले मेरे बाबूजी .
भट्टी में तपकर निकले थे मेरे बाबूजी .
नियमों के पक्के बाबूजी
बातों के सच्चे थे .
निर्मम था अनुशसन ,
पर दिल से पूरे बच्चे थे .
बड़े कठोर ,बड़े कोमल थे मेरे बाबूजी .
लेखन गायन और चिकित्सा में
पूरे निष्णात .
कभी नहीं आए जीवन में ,
द्वेष, बैर , छल ,घात .
झूठ ,कपट से अनजाने थे मेरे बाबूजी .
सादा जीवन ,ऊँचा चिन्तन ,
ध्येय रहा जीवन में .
जाति धर्म का भेद न माना
थी समरसता मन में .
सबके प्यारे मास्टरजी थे मेरे बाबूजी .
“या हंसा मोती चुगै
या लंघन मर जाय .
जितनी लम्बी चादर हो ,
उतने ही पाँव बढ़ाय .”
यही सीखकर पले बढ़े थे मेरे बाबूजी .
नंगे पाँव चले काँटों पर ,
थककर कभी न हारे .
धूप छाँव में रहे एकरस ,
खोजे नहीं सहारे .
यही सिखाते रहे सभी को मेरे बाबूजी .
मरु में लाते रहे नमी को मेरे बाबूजी .
कृपया रविवार को सोमवार पढ़े।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंनंगे पाँव चले काँटों पर ,
जवाब देंहटाएंथककर कभी न हारे .
धूप छाँव में रहे एकरस ,
खोजे नहीं सहारे .
यही सिखाते रहे सभी को मेरे बाबूजी .
मरु में लाते रहे नमी को मेरे बाबूजी .
बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी रचना गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी 🙏
स्नेह से प्रदीप्त , हृदय स्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता जी . मैं देख नही पाई थी . अब देखती हूँ .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंवाह अच्छे सच्चे बाबूजी थे
जवाब देंहटाएंThank you! You have written very important and valuable information. After reading this, my knowledge in this subject has increased even more. Free me Download krein: Mahadev Photo | महादेव फोटो
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