बादल भैया बदले तुम
कबसे देख रहे हैं हम ।
कभी-कभी तो आते हो
नखरे बीस दिखाते हो ।
पानी भी लाते हो कम ।।
बादल भैया बदले तुम ।
जब जी चाहे आते हो
सौ तूफान उठाते हो ।
करते खूब नाक में दम ।।
जहाँ कहीं भी जम जाते
पाँव जमी पर थम जाते
फिर हफ्तों होती रिमझिम
बादल भैया बदले तुम ।
करो न इतनी मनमानी
चाहें जितना दो पानी ।
भेद करो मत ,रक्खो
सम ।
भैया यों ना बदलो तुम ।
कहीं सूखा, कहीं बाढ़..सावन हो या आषाढ़..सुंदर बाल गीत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता !!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 13 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर
वाह!! बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, गिरिजा दी।
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