भारत माँ का ह्रदय-प्रदेश
अपना मध्य प्रदेश ।
गौरवमय देता सन्देश
अपना मध्यप्रदेश ।
विन्ध्य, सतपुडा ,शिखर यहाँ
हरियाली है मुखर यहाँ ।
सिन्ध, बेतवा, क्षिप्रा चम्बल
ताप्ती और नर्मदा यहाँ ।
कण-कण जिसके बसे महेश
अपना मध्य-प्रदेश ।
साँची ,उदयगिरि माँडवगढ
भीमबैठका और ककनमठ
खजुराहो,सोनागिरि भी हैं
धुँआधार की सुनलो आहट
नैसर्गिक मनोहारी वेश
अपना मध्यप्रदेश ।
कालीदास माघ से कवि
और दुर्गावती अहिल्या सी ।
और अवन्तीबाई रानी
मातृभूमि की गरिमा सी ।
'विक्रम' थे विक्रम के वेश
अपना मध्यप्रदेश
विश्व-विरासत किला ग्वालियर
गालव ऋषि की तपोभूमि है
वीरांगना लक्ष्मीबाई की
यह अन्तिम कर्मभूमि है ।
शौर्य शक्ति के ये अवशेष
अपना मध्यप्रदेश ।
तानसेन की तानें गूँजी
स्वर कोकिल ने आँखें खोली ।
विस्मिल ने अवतार लिया
और गूँजी 'सरल' 'सुमन' की बोली
।
बैर घृणा का यहाँ न लेश
अपना मध्यप्रदेश ।
शस्य श्यामला धरती माँ
कृषक सरलता की सीमा
सृष्टि रही अनुकूल सदा
भूले कभी न हम गरिमा ।
विविध कलाओं का उन्मेष
अपना मध्यप्रदेश ।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(०४ -११ -२०१९ ) को "जिंदगी इन दिनों, जीवन के अंदर, जीवन के बाहर"(चर्चा अंक
३५०९ ) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
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जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन रचना मध्य प्रदेश के बारे में पूरी जानकारी इससेअच्छे तरीके से शायद ही हमें..कहीं मिल सके..पढ़ते पढ़ते स्वत ही मनोहारी दृश्य मस्तिष्क में उभरने लगे..!!
जवाब देंहटाएंआपने मध्यप्रदेश की गरिमा का बहुत ही खूबसूरती से बखान किया हैं ,सादर नमस्कार
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