रविवार, 13 नवंबर 2016

पीछे-पीछे सब डिब्बों से......



आठ माह की मान्या 
नन्ही मान्या घुटनों-घुटनों
चलती किलक-किलककर!
उसे पकड़ने दौड़ पड़ा है
पीछे सारा घर!

चश्मा रखकर दौड़ीं दादी,
पुस्तक रख दादाजी,
हड़बड़-गड़बड़ पापा-मम्मी,
काम छोड़ आधा जी ,
चकराए चाचा चिल्लाए --
"रोको, अरे, सँभलकर!"
नन्ही मान्या घुटनों-घुटनों
चलती किलक-किलककर!
सबको पीछे देख, और
वह भागी तेज़ किलककर!
फूट पड़े दूधिया हँसी के
कितने प्यारे निर्झर!
उठा लिया गोदी में तो,
फिर उतरी मचल-मचलकर!
नन्ही मान्या घुटनों-घुटनों
चलती किलक-किलककर!
चटपट-चटपट गई किचन में,
सरपट-सरपट आँगन!
पीछे-पीछे सब डिब्बों से,
मान्या हो गयी इंजन!
चलती जाती ऐसे, जैसे --
घूमेगी दुनिया-भर!
नन्ही मान्या घुटनों-घुटनों
चलती किलक-किलककर!


1 टिप्पणी:

  1. छुक छुक छुक छुक मान्या
    डब्बे बन गए सारे अपने
    सुपरफास्ट सी चलती जाओ
    जब तक मिले न मंज़िल ...

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