बौछारों से गीले गीले ,चौमासे के दिन
कपड़े जैसे सीले सीले ,चौमासे के दिन .
कभी बादलों की छाया में , सोए सोए से ,
कभी धूप में चटकीले हैं ,चौमासे के दिन .
हरियाली के आँचल में मुँह ढाँपे सोजाते
धनक सिरहाने सपनीले से चौमासे के दिन .
धरती को ले आए हैं सौगातें हरी हरी ,
नदियों को तेवर गर्वीले ,चौमासे के दिन
मेघों के गर्जन से ,सोए बीज कुनमुनाए ,
पीके लाल और कुछ पीले ,चौमासे के दिन .
बादल लुढ़का गिरा पेड़पर ,टूटा बिखर गया
पत्तों के हैं नैन पनीले ,चौमासे के दिन .
वाह
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंकपड़ो जैसे सीले सीले चौमासे के दिन , चौमासे का बेहद खूबसूरत वर्णन किया।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रवीणा जी ! आपके आने से ब्लाग और समृद्ध हुआ .
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