रविवार, 14 अगस्त 2016

मेरे देश

मेरे देश अजित अविकल
हो अटल यही विश्वास .
तेरे पाँव तले हर मुश्किल
बाँहों में आकाश .
मेरा तन मन धन अर्पित है
तू है मेरा मान .
तेरी खातिर जीने-मरने में है
मेरी शान .
रोम रोम में भरा रहे ,
बस तेरा ही अहसास .
मेरे देश अजित अविकल
हो अटल तेरा विश्वास .

कोई कितना भी ऊँचा हो ,
तुझसे बढ़कर कौन
कोई कितना भी सँवरा हो  
तुझसे सुन्दर कौन .
तू नयनों की सीमा रेखा
तू ही धवल उजास .
मेरे देश अजित अविकल
हो अटल तेरा विश्वास .

कोई माने ना माने 
सर्वोपरि मेरा देश .
यही भान अभिमान रहे
तू ही मेरा सर्वेश  .
रहे लहू की बूँद-बूँद 
अपनी माटी की प्यास .
मेरे देश अजित अविकल ,
हो अटल तेरा विश्वास .  



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