शनिवार, 19 जून 2021

मेरे बाबूजी

सरल साँवले दुबले-पतले मेरे बाबूजी .

भट्टी में तपकर निकले थे मेरे बाबूजी .


नियमों के पक्के बाबूजी 

बातों के सच्चे थे . 

निर्मम था अनुशसन  ,

पर दिल से पूरे बच्चे थे .

बड़े कठोर ,बड़े कोमल थे मेरे बाबूजी .


लेखन गायन और चिकित्सा में

पूरे निष्णात .

कभी नहीं आए जीवन में ,

द्वेष, बैर , छल ,घात .

झूठ ,कपट से अनजाने थे मेरे बाबूजी .


सादा जीवन ,ऊँचा चिन्तन ,

ध्येय रहा जीवन में .

जाति धर्म का भेद न माना

थी समरसता मन में .

सबके प्यारे मास्टरजी थे मेरे बाबूजी .


“या हंसा मोती चुगै 

या लंघन मर जाय .

जितनी लम्बी चादर हो ,

उतने ही पाँव बढ़ाय .”

यही सीखकर पले बढ़े थे मेरे बाबूजी .


नंगे पाँव चले काँटों पर  ,

थककर कभी न हारे  .

धूप छाँव में रहे एकरस ,

खोजे नहीं सहारे .

यही सिखाते रहे सभी को मेरे बाबूजी .

मरु में लाते रहे नमी को मेरे बाबूजी .

10 टिप्‍पणियां:

  1. कृपया रविवार को सोमवार पढ़े।

    सादर

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  2. नंगे पाँव चले काँटों पर ,

    थककर कभी न हारे .

    धूप छाँव में रहे एकरस ,

    खोजे नहीं सहारे .

    यही सिखाते रहे सभी को मेरे बाबूजी .

    मरु में लाते रहे नमी को मेरे बाबूजी .

    बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी रचना गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी 🙏

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  3. स्नेह से प्रदीप्त , हृदय स्पर्शी सृजन।

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  4. धन्यवाद अनीता जी . मैं देख नही पाई थी . अब देखती हूँ .

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  5. वाह अच्छे सच्चे बाबूजी थे

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  6. Thank you! You have written very important and valuable information. After reading this, my knowledge in this subject has increased even more. Free me Download krein: Mahadev Photo | महादेव फोटो

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