14 नवम्बर 2014
--------------------------------------
पूरा पक जाने पर टपके टहनी से ज्यों आम ।
पूरी खिलकर ,झट से झर जाएं पाँखुरियाँ शाम।
छुट्टी मिलते ही शाला से बच्चे दौड़े भागे
रोज खिसक लेते चन्दा जी ,सूरज जी के जागे ।
ऐसे ही अलविदा कह गए छोड़ दूधिया पाँत।
खोल हँसी की खिड़की खिसक गए नटखट दो दाँत ।
मान्या जी थीं हक्की बक्की एक न फूटा बोल ।
जाते जाते दाँत ,खोल गए सबके आगे पोल ।
आठ साल की होगई है अब मेरी गुड़िया रानी
सालों साल सबेरा उसकी लिक्खे नई कहानी ।
मन की महकी फुलबगिया है , आँखों की उजियारी ।
उसकी मीठी बातों में ही ,सिमटी दुनिया सारी ।
--------------------------------------
पूरा पक जाने पर टपके टहनी से ज्यों आम ।
पूरी खिलकर ,झट से झर जाएं पाँखुरियाँ शाम।
छुट्टी मिलते ही शाला से बच्चे दौड़े भागे
रोज खिसक लेते चन्दा जी ,सूरज जी के जागे ।
ऐसे ही अलविदा कह गए छोड़ दूधिया पाँत।
खोल हँसी की खिड़की खिसक गए नटखट दो दाँत ।
मान्या जी थीं हक्की बक्की एक न फूटा बोल ।
जाते जाते दाँत ,खोल गए सबके आगे पोल ।
आठ साल की होगई है अब मेरी गुड़िया रानी
सालों साल सबेरा उसकी लिक्खे नई कहानी ।
मन की महकी फुलबगिया है , आँखों की उजियारी ।
उसकी मीठी बातों में ही ,सिमटी दुनिया सारी ।