बना रही है घर गौरैया।
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जब चाहे तब उडती थी .
आँगन-गली फुदकती थी।
जहाँ मिला कर लिया बसेरा,
चिन्ता उसे न रहती थी .
यही कि है बेघर गौरैया .
बना रही है घर गौरैया .
तिनका-तिनका चुनने को .
नया घोंसला बुनने को .
नये घोंसले में नन्हों की,
चीं--चीं...चूँ-चूँ सुनने को .
कितनी है आतुर गौरैया .
बना रही है घर गौरैया .
टुमक-टुमक--टुम चलती है .
पकड चोंच में घिसती है .
पटके ,तोडे तिनकों को ,
यों हर तरह परखती है .
कितनी कुशल सजग गौरैया .
बना रही है घर गौरैया .
गिलहरियों ने उसको छेडा .
कौआ-बिल्ली करें बखेडा .
जब भी जहाँ जमाए तिनके ,
अम्मा ने हर बार खदेडा ।
फिर भी है तत्पर गौरैया ,
बना रही है घर गौरैया ।
अम्मा ,यह उसका भी घर
है .
नन्ही चिड़िया है,
क्या डर है .
उसको नीड़ बनाने दो ,
सपने नए सजाने दो .
चूँ चूँ चक् चक् होगी
मैया .
खुशियाँ लाएगी गौरैया
.