विहान अपने माता पिता की इकलौती सन्तान है . पिता विनीत बैंगलोर में एक बड़ी कम्पनी में मैनेजर हैं और माँ नीलिमा एक पत्रिका में सम्पादक है .उनका छोटा सा सुखी व सम्पन्न परिवार है .अपने पांच साल के इकलौटे बेटे के लिये उन्हों ने हर तरह की सुविधा जुटाई है . ढेर सारे नए नए किलौने , शानदार कपड़े , मनपसन्द खाना पीना , अलग कमरा तमाम किताबें , गेम्स .यानी कोई कमी नहीं . वह जो भी माँगता पापा या मम्मी ऑनलाइन मँगाकर या शनिवार रविवार को खुद बाजार जाकर तुरन्त हाजिर कर देते . विहान के लिये किसी सामान या सुविधा की कमी न थी .
एक दिन कोलकाता से विहान के मामा-मामी आए . दो-तीन दिन बैंगलोर में नीलिमा के पास रुककर उन्हें कन्याकुमारी जाना था . उनके साथ एक उनकी दो साल की प्यारी सी बेटी भी थी लिली . दो-तीन दिन घर में खूब चहल पहल रही . मामा ने विहान को कई कहानियां व चुटकुले सुनाए . मामी ने सबको रसगुल्ले बनाकर खिलाए . एक दिन लाल बाग घूमने गए और एक दिन बाजार भी गए . वे दो तीन दिन बहुत ही आनन्दमय रहे . पर विहान को सबसे ज्यादा आनन्द लिली के साथ आया . लिली भैया भैया कहती उसके आगे पीछे घूमती रहती और वह उसे कभी अपने घोड़े पर बिठाता तो कभी रिमोट वाली कार चलाकर दिखाता . लिली भी विहान के साथ खूब हिल मिल गई थी . तीन दिन बाद विहान के मामा मामी चले गए .
“ आज घर कितना खाली खाली सा लग रहा है .”—विनीत ने
कहा .
आप कमली दीदी को बुला लें न. विहान को बुआ के साथ अच्छा लगेगा और.......”
नीलिमा अपनी बात पूरी करती उससे पहले ही पास ही अपने चित्रों में रंग भरने बैठा विहान अचानक बोला –“मुझे एक बहन चाहिये .”
“हें !! हें !!...----नीलिमा और विनीत एक साथ चौंके .
“ यह कौनसी नई धुन सवार होगई विहान बाबू .?”
“मुझे बहन चाहिये .आपने सुना नहीं .? ” —इस बार विहान जोर से बोला यह देख विनीत और नीलिमा दोनों ही हक्के बक्के रह गए . यह तो ऐसी माँग थी जिसे न ऑनलाइन मँगाया जा सकता था न ही बाजार से खरीदा जा सकता था . पहले तो विहान ने कभी ऐसी बात नहीं कही थी . जरूर लिली के कारण उसके दिमाग में यह बात आई है .
“ तुम्हें बहन क्यों चाहिये विहान .”
“क्योंकि मुझे बहन बहुत अच्छी लगती है . मैं उसके साथ खेलूँगा ..उसे पार्क में झूला झुलाऊँगा ...बीनू , गोलू , पवन सबकी बहनें हैं . वे उनको राखी बाँधती है . टीका लगातीं हैं .मुझे भी राखी बँधवानी है .”
तुम्हें बुआ वाली रौनक दीदी रखी भेजती तो है .
“पर बाँधती तो नहीं ना ?”
“मैं बाँध तो देती हूँ . टीका भी करती हूँ ..
“तुम कोई मेरी बहन हो ..इतनी बड़ी .?
विहान थोड़ा मुस्कराया पर अगले ही पल चिल्लाकर बोला .
“मुझे बहन चाहिये अभी ..."
उसके गले की नसें फूल गईँ .आवाज भर्रा गई और आँखें भी कुछ गीली सी लगने लगीं .
विनीत और नीलिमा अब सचमुच विहान की माँग को लेकर गंभीर होगए . अचानक विनीत को अपनी ऑफिस के माली का ध्यान आया जिसकी पत्नी चार माह पहले दो साल की बच्ची को छोड़ चल बसी थी . माली खुद काफी बीमार रहता था और बच्ची को पालने में खुद को बहुत असहाय अनुभव कर रहा था .
इस तरह हुआ यह कि कुछ दिन ही बाद वे उस बच्ची को अपने साथ घर ले आए .
“लो विहान बाबू आपकी बहन आ गई .”
“आहा
, यह तो बहुत प्यारी है पापा ! क्या
सच्ची में यह मेरी बहन है ?
“हाँ
बेटा , यह आपकी ही बहन हैं .”
“क्या हमारे साथ ही रहेगी हमेशा ? “
“और नहीं तो क्या ! यह तुम्हारी बहन है और बेशक तुम्हारे साथ ही रहेगी ,”
“ओहो
!...तब तो मैं इसका
नाम लिली रख दूँ मम्मी ?”
–विहान खुश होकर बोला .
“जरूर रखो बेटा .”--- विनीत और नीलिमा ने एक साथ कहा और हँस पड़े .