“जिनके भाल चन्द्रमा साजे.
गंगा मैया जटा विराजे .
ऐसा जिनका रूप निराला .
भोले-शंकर उनका नाम .
कैलाश पर्वत उनका धाम
अंग अंग में भस्म रमाए .
सारा जग उनके गुण गाए .
जल्दी ही वे खुश होजाते .
आशुतोष इसलिए कहाते .
दूर करें वे कष्ट तमाम .
भोले शंकर उनका नाम .”