शनिवार, 18 फ़रवरी 2023

आशुतोष इसलिये कहाते

 

जिनके भाल चन्द्रमा साजे.

गंगा मैया जटा विराजे .


कंठ सजी सर्पों की माला .

ऐसा जिनका रूप निराला .


भोले-शंकर उनका  नाम .

कैलाश पर्वत उनका धाम


अंग अंग में भस्म रमाए .

सारा जग उनके गुण गाए .


जल्दी ही वे खुश होजाते .

आशुतोष इसलिए कहाते .


दूर करें वे कष्ट तमाम .

भोले शंकर उनका नाम .

बुधवार, 8 फ़रवरी 2023

सूरज उतरा नदी किनारे

 रूप रुपहले पंख पसारे

सूरज उतरा नदी किनारे .

 

बिखरे शंख सीपियाँ चुनने

धूप का झोला बगल दबा रे.


हवा उतर आई पेड़ों से

सर सर सर सर गली बुहारे .


नदिया ने बाहें फैलादीं ,

जल में सूरज एक उगा रे .


लहरों को मुट्ठी में भरने ,

नटखट लहरों बीच चला रे .


चचंल लहरें हाथ न आए

कभी यहाँ तो कभी वहाँ रे .


नटखट लहरें वहीं छोड़कर

धूप सुखाली है निचोड़कर .


गीले तट फिर पाँव जमाए

रेत घरोंदे मिटा बनाए .