सुबह -शाम सिन्दूरी हो लीं ।
होली, होली, होली ।
आँगन धूप झाँक कर बोली ,
होली, होली, होली ..।
खुलीं ,खिलीं कचनारी कलियाँ।
चीं चीं...चूँ,चूँ ..गाऐं चिडियाँ।
हुल्लड करती हरियल-टोली,
होली , होली , होली ,।
सरसों को रँग दिया वसन्ती ,
पीली ,लाल हुई सेवन्ती ।
टेसू ने लो केसर घोली --
होली , होली , होली ।
जी भर बौराई अमराई ,
बेरों ने खुशबू फैलाई ।
है शहतूत शहद की गोली -
होली , होली , होली ।
हवा झूमती सी लहराती ,
झूम-झटक पेडों को जाती ।
उसके पास गुलाल न रोली -
होली , होली , होली ।
बगुला जी रंगों से बचने ,
नदी किनारे पहुँचे छिपने ।
दे पिचकारी मछली बोली--
होली , होली , होली ।
छुप ना कोयल बाहर आ री ,
तुझ पर रंग चढेगा क्या री ।
खुल कर करले हँसी ठिठोली--
होली , होली , होली ।
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होली, होली, होली ।
आँगन धूप झाँक कर बोली ,
होली, होली, होली ..।
खुलीं ,खिलीं कचनारी कलियाँ।
चीं चीं...चूँ,चूँ ..गाऐं चिडियाँ।
हुल्लड करती हरियल-टोली,
होली , होली , होली ,।
सरसों को रँग दिया वसन्ती ,
पीली ,लाल हुई सेवन्ती ।
टेसू ने लो केसर घोली --
होली , होली , होली ।
जी भर बौराई अमराई ,
बेरों ने खुशबू फैलाई ।
है शहतूत शहद की गोली -
होली , होली , होली ।
हवा झूमती सी लहराती ,
झूम-झटक पेडों को जाती ।
उसके पास गुलाल न रोली -
होली , होली , होली ।
बगुला जी रंगों से बचने ,
नदी किनारे पहुँचे छिपने ।
दे पिचकारी मछली बोली--
होली , होली , होली ।
छुप ना कोयल बाहर आ री ,
तुझ पर रंग चढेगा क्या री ।
खुल कर करले हँसी ठिठोली--
होली , होली , होली ।
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मस्त होली है!! सबों को भिगोकर रंग गई अपने रंगों में!!
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!!!
वाह...सुन्दर और सामयिक पोस्ट...
जवाब देंहटाएंआप को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@हास्यकविता/ जोरू का गुलाम
बहुत सुन्दर रचना, होली की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआहा ! लयबद्ध सुंदर और सरल कविता
जवाब देंहटाएंहोली और वसंत की शुभ-कामनाएं
bahut hi sunder rachana
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए ?अरे ,यह तो हम बूढ़ों मन भी अपने रंगों में लपेट ले ऐसी प्यारी कविता है !
जवाब देंहटाएंbehad sunder.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शब्द प्रयोग, मीठी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंरंग ही रंग बिखरे हैं
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