(ईशान के लिये )
8.12.2022
जैसे पूनम चाँद गगन में
जैसे फुलवारी उपवन में .
तू मेरे जीवन में .
रूप रुपहले पंख पसारे .
सूरज उतरा नदी किनारे .
बिखरे शंख सीपियाँ चुनने
धूप का झोला बगल दबा रे .
इन्द्रधनुष के रंग पुलिन में
तू मेरे जीवन में .
जैसे चिड़ियाँ गाएं भोरें .
उमड़ें नदिया पवन हिलोरें
हौले पलकें खोल पाँखुरी ,
गीत रच गए नए नकोरे .
जैसे खुशबू मिली पवन में
जिस दिन तू बाँहों में आया
आँखों में आकाश समाया .
खुशियाँ मेरे आजू बाजू ,
देख मुझे जब तू मुस्काया .
अन्तर के स्वर आराधन में ,
तू मेरे जीवन में .
अगवानी करने वसन्त की
अँकुराए है पल्लव प्यारे .
ज्यों उमंग धरती के मन में .तू मेरे जीवन में .
कम ना हों तेरी मुस्कानें
कर पाए जो भी तू ठाने .
कह पाए जो भी तू माने .
राग और सुर ज्यों गायन में ,
तू मेरे जीवन में .
दीदी! अब तो मेरा शब्द सामर्थ्य भी चुक गया सा लगता है... कितना भाग्यशाली है वह शिशु, जिसे यह अनमोल निधि जन्मदिवस के उपहारस्वरूप प्राप्त हुई। इस जगत में कोई भी उपहार इसकी तुलना में तुच्छ है। मेरी ओर से भी ईशान को शतायुष्य भव का आशीष!!
जवाब देंहटाएंब्लाग सूना पड़ा था . आपने आकर आबाद कर दिया. आपके शब्द कभी चुक ही नहीं सकते.
जवाब देंहटाएं